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क्यो हु मै अरविंद केजरीवाल के साथ

My Thoughts....मेरे विचार
My Thoughts....मेरे विचार
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अरविंद केजरीवाल ने स्तीफ़ा दे दिया, मुझे लगता है, हमारे देश के लिए इससे बढ़ा दुर्भाग्य कभी नहीं हो सकता। हम मे से हर कोई अपने विचार अभिव्यक्त कर रहा है, परंतु  हमे अपनी अभिव्यक्ति को जाहीर करने से पहले अपने विचार मंथन मे अपने देश और अपनों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी के अहसास को अवश्य सम्मिलित करना चाहिए। कहा गया की “आप” द्वारा लाया गया जन लोकपाल बिल असंवैधानिक है। मै एक आम आदमी हु, मुझे संविधान की उतनी समझ नहीं है। मुझे तो लगता है, जो जनता और देश के हित मे हो वही संवैधानिक है। फिर भी मै आपसे पुछना चाहता हु, संवैधानिक क्या है? एक गरीब आदमी 29 साल तक सिर्फ अठारह रुपए के लिए अदालत के चक्कर काटता है, क्या यह संवैधानिक है? जिंदा आदमी को मृत घोषित कर दिया जाता है, वह भी एक नहीं सैकड़ो को, क्या यह संवैधानिक है? हर वर्ष हजारो लोग, अस्पताल और डाक्टर के सामने बिना इलाज के मर जा रहे है, क्या यह संवैधानिक है? जघन्य अपराधी देश मे मंत्री और बढ़े बढ़े पदो पर बैठे है, क्या यह संवैधानिक है? अरबों रुपए का गबन कर लोग आज भी खुली हवा मे आलिसान कारो और बंगलो मे रह रहे है, क्या यह संवैधानिक है?  कोई जनता के हक की बात लेकर आ गया तो असंवैधानिक हो गया। राजनीतिक दल कह रहे है की हम लोकपाल के पक्ष मे है पर इनहोने जल्दबाज़ी की, चलो मान लेते है, परंतु ये तो अभी अभी आए है, पर  आप पिछले  66 साल क्या कर रहे है? क्या इतने वर्ष आपके लिए कम थे। आजादी के बाद देश से जमींदारी प्रथा हटा दी गई थी, परंतु धीरे-धीरे देश मे यह प्रथा फिर से आ गई, आज अधिकान्स जगहो  की सत्ता पर कोई  न कोई  परिवार  प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शासन कर रहे है। अपने आस पास के जिलो और तहसीलो मे ही देख लिजीय। क्या आपको लगता है देश मे योग्य नेता ही नहीं है, क्या एक  पढ़ा लिखा आम आदमी देश  का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। क्या देश मे प्रतिनिधित्व करने के लिए भ्रष्ट होना, अपराधी होना और किसी नेता का बेटा होना ही योग्यता है। अगर मान लिजीय “आप” आज जन लोकपाल पारित ना होने पर स्तीफ़ा नहीं देती तो आप क्या कहते “देखो सत्ता का लोभी वादा से मुकर गया और कुर्सी नहीं छोड़ रहा है”।  एक तरफ तो आप कह रहे है की वादा नहीं पूरा किया दूसरे तरफ कह रहे है की जल्दबाज़ी कर रहे थे। आप अपने विचार दीजिये आप क्या चाहते है? आज तक देश मे कई बार चुनाव हुये है, आप बताइये कितनी बार लोग किसी पार्टी के खिलाफ चुनाव के दो महीनो बाद ही कहने लगे की वादा नहीं पूरा किया। हर बार हर पार्टी नए वादो के साथ आती है, आप कितनी बार उन राजनीतिक दलो के पास गए है और पूछा है की साहब आपने वादे किए थे, दो महीने हो गए क्या हुआ ? एक बार भी गए है, या पूछा है ? पिछले दो महीनो से दिल्ली मे हु लोगो से बात की है, और अपनी आखो भ्रष्टाचारियो के आख मे भय और गरीबो की आंखो मे सुकून  जीवन पहली बार देखा है, । मैंने खुद बदलाव महसूस किया है। हमारे साथ सबसे बढ़ी परेशानी है की हम सुनने मे ही विश्वास रखते है समझने मे नहीं। हम या तो भगवान मे विश्वास करते है, जो आँख बंद करे और दुनिया बदल दे या शैतान मे जो आख खोले और दुनिया तहस नहस कर दे, और हम डर के मारे चुप रहे। हमे अपनी इस सोच से उभरना होगा, हमे इंसान पर विश्वास करना सीखना होगा, और विशेषकर अच्छे इंसान पर। हमारे देश का बेरोजगार युवा आप से पुछना चाहता है की ऐसा कौनसा व्यापार है जो पाच साल मे बिना कुछ किए करोड़ो की संपति का मालिक बना देता है, और कुछ एक वर्षो मे अरबों की। लोग कहते है की भारत के आम आदमी मे योग्यता नहीं है, तो ऐसा क्यो होता है, की एक भारतीय आम आदमी यहा एक छोटा सा पुरस्कार नहीं जीत सकता और दूसरे देश की नागरिकता पाकर नोबल जीत लेता है, कहा कमी है, हममे या हमारे सिस्टम मे, सोचिए फिर बोलिए। कैसा भविष्य चाहते है आप, यह आप पर निर्भर करता है। आप चाहते है सरकारी डाक्टर आपके बच्चे को गंभीर हालत मे सिर्फ इसलिए छोड़ दे क्योकि उसे अपनी निजी अस्पताल जाने मे देरी हो रही है, आप चाहते है की आपका बेटा यूरिया, डिटेर्जेंट पावडर वाला दूध पीकर बढ़ा हो, आप चाहते है की आपकी माँ को बीमार हालत मे ले जाने मे इसलिए देरी हो गई क्योकि सामने से लाल बत्ती जाने के कारण पूरा ट्रेफिक रोक दिया गया, क्या आप चाहते है की आपको नौकरी इसलिए नहीं मिली क्योकि उसे पहले से नेताजी के भतीजे को दे दिया गया है। अपने अनुभवो के आधार पर यदि आपको लगता है की पिछले 66 वर्षो मे किसी ने आपको इन सब से छुटकारा दिलाया है तो आप उनके साथ जा सकते है। निर्णय आपके हाथ मे है,…….

जय हिन्द

अजय सिंह नागपुरे

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